कृषि विधेयक लोकसभा और राज्यसभा दोनो से पास हो गया अब इस विधेयक का खेल देखिये

 कृषि विधेयक लोकसभा और राज्यसभा दोनो से पास हो गया अब इस विधेयक का खेल देखिये।



कृषि विधेयक नोटबंदी पार्ट 2 है।

जैसे नोटबंदी से ब्लैक मनी का जखीरा दबाए रखने वाले नेस्तनाबूद हो गये थे 

वैसे ही इस बिल से पंजाब और महाराष्ट्र के दो दिग्गज बर्बाद हो गये ।

पंजाब के सुखबीर बादल और महाराष्ट्र के शरद पवार के लौए लग गये ।

सुखबीर के सुखबीर एग्रो को कम से कम 5000 करोड़ सालाना की आय होती थी ।वे एफ सी आई के और किसानों के बीच के कमिशन एजेंट थे । उनकी कंपनी को 2.5% कमिशन मिलता था। सारे वेयरहाउस उन्ही के थे। बगैर सुखबीर एग्रो का ठप्पा लगे कोई किसान एक टन गेहूं एफ सी आई को बेच नहीं सकता था।

एक झटके में सब बर्बाद हो गया।

महाराष्ट्र में शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले 10000 करोड़ का कृषि आय दिखाती थी ।पूरे प्याज ,मिर्च और अंगूर के व्यापार पर इसी परिवार का कंट्रोल था ।

इस बिल ने पवार को कहीं का नहीं छोड़ा ।

मोदी जड़ काटता है , डालियां नहीं काटता है ।

अकाली दल और एन सी पी को अगले चुनाव में भीख मांगते देखा जाएगा ।

#मोदिया निर्मोही

निरंतर नारायण।

ब्रजेश मिश्रा और संजय सिसोदिया की रिपोर्ट


■हिमाचल का सेब 20 रुपये में खरीदने वाले 60 का मंडी में बेचते है । फिर वो हमें 100 से 120में हमे पड़ता है मोदीजी इसी दलाली को खत्म कर रहे है ।जिसका विरोध हो रहा है ।


■कोईभी मूर्ख कांग्रेसी मुझे समझाए अगर किसान अपना अनाज अपनी मर्जी से किसी को भी और कही  भी बेचे तो इसमें उसका नुकसान कैसे होगा ?


किसानों को अपने उत्पाद अपनी पसंद के मूल्य पर बेचने की आजादी मिल रही है।

इससे कांग्रेसी, वामपंथी, मीडिया में बैठे दलालों की अपनी दुकानदारी बन्द होने के खतरे हैं।


आज आशीर्वाद का आटा 40 रुपए प्रति किलो है, 

जबकि गेंहूँ की कीमत 18 रुपए प्रति किलो है।

क्यों?

क्योंकि कंपनी सीधे किसानों से गेहूं नहीं खरीद सकती, और वह दलालों के माध्यम से इसे ऊंची कीमत पर खरीदती है। इस धंधे में नुकसान उपभोक्ता व किसान-दोनों को उठाना पड़ता है, जबकि फायदा सिर्फ दलाल को होता है।

अब सरकार के इस फैसले से किसान अपना उत्पाद सीधे किसी को बेच सकता है, वो भी बिना किसी दलाली के।

किसानों के लिए एक तरह की आजादी है ये।

अब उसके हाथ बंधे नहीं रहेंगे, और वह स्वतंत्र रहेगा अपने उत्पाद को कहीं भी बेचने के लिए।



अब कभी प्याज के कारण सरकार नही गिरेगी  

क्योंकि नासिक और पूरे महाराष्ट्र के प्याज को दबाने वाली सुप्रिया सुले की मनमानी अब खत्म इस किसान बिल से


10 का प्याज जो हम 80 में लेते है,,किसान को सिर्फ 10 रुपये ही मिलता


इसी बिचौलिए माफिया को रोकने के लिये कृषि बिल लाया गया है!


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