*गुरु मंत्र रहस्य* भाग - २
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आखिर में उन्होनें आश्वस्त होकर निम्न बातें बताई| हमारा गुरु मंत्र 'ॐ परम तत्त्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः' का बाह्य अर्थ है, कि, - *हे नारायण! आप सभी तत्वों के भी मूल तत्व हैं और सभी साकार और निर्विकार शक्तियों से भी परे हैं, हम आपको गुरु रूप में श्रद्धापूर्वक नमन करते हैं।*
... *यह मंत्र किसी के द्वारा रचित नहीं है, जब गुरुदेव के चरण पहली बार दिव्य भूमि सिद्धाश्रम में पड़े, तो स्वतः ही दसों दिशाएं और सारा ब्रह्माण्ड इस तेजस्वी मंत्र की ध्वनि से गुंजरित हो उठा था, ऐसा लग रहा था, मानो सारा ब्रह्माण्ड उस अद्वितीय अनिर्वचनीय विभूति का अभिनन्दन कर रहा हो*
*उसी दिन से गुरुदेव अपने शिष्यों को दीक्षा देते समय यही मंत्र प्रदान करते हैं, जो कि वास्तव में ब्रह्माण्ड द्वारा गुरुदेव के वास्तविक स्वरुप का प्रकटीकरण है|*
'तो क्या वे...' - *मैं अपने आपको रोक न सका| 'श S S S ..' उन्होनें अपने मूंह पर उंगली रखते हुए मुझे आलोचनात्मक दृष्टी से देखा - 'बीच में मत बोलो, बस ध्यानपूर्वक सुनते रहो|*
मुझे आखें नीचे किये सर हिलाते देख कर वे आगे बोले -
*यह सोलह बीजाक्षरों से युक्त मंत्र उन षोडश दिव्य कलाओं को दर्शाता है, जिसमें गुरुदेव परिपूर्ण हैं|*
*ये ब्रह्माण्ड की सर्वश्रेष्ठ अनिर्वचनीय सिद्धियों के भी प्रतिक हैं|*
शेष अगले भाग में......
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