*गुरु मंत्र रहस्य* भाग - 3
गुरु मंत्र का पहला बीज *प*
*अब मै एक-एक करके इस मंत्र के हर बीज को तुम्हारे सामने स्पष्ट करूंगा और उसमें निहित शक्तियों के बारे में बताउंगा| अच्छा, ज़रा तुम गुरु मंत्र बोलो तो!*
*"ॐ परम तत्त्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः"*
*बहुत खूब!, उन्होनें मेरी पीठ थपथपाते हुए कहा - 'अच्छा, तो सबसे पहले हम पहला बीज 'प' लेते हैं| क्या तुम इसके बारे में बता सकते हो? नहीं, तो मैं बताता हूं|*
★ *इसका अर्थ है - 'पराकाष्ठा'....अर्थात जीवन के हर क्षेत्र में, हर आयाम में सर्वश्रेष्ठ सफलता, ऐसी सफलता जो और किसी के पास न हो|*
★ *इस बीज मंत्र के जपने मात्र से एक सामान्य से सामान्य व्यक्ति भी अपने जीवन को सफलता की अनछुई उंचाई तक ले जा सकता है, चाहे वह भौतिक जीवन हो अथवा आध्यात्मिक|*
★ *ऐसे व्यक्ति को स्वतः ही अटूट धन-संपदा, ऐश्वर्य, मान, सम्मान प्राप्त हो जाता है|*
★ *वह भीड़ में भी 'नायक' ही रहता है।*
★ *वह मानव जाति का 'मार्गदर्शक' कहलाता है और आने वाली पीढियां उसे 'युगपुरुष' कह कर पूजती हैं|*
★ *इसके द्वारा व्यक्ति को सूक्ष्म एवं दिव्य दृष्टी भी प्राप्त हो जाती है।*
★ *वह 'काल ज्ञान' में भी पारंगत हो जाता है| अतः वह आसानी से किसी भी व्यक्ति, सभ्यता और देश के भूत, भविष्य और वर्त्तमान को आसानी से देख लेता है|*
'वाह!' - *मेरे मूंह से सहज निकल पडा|*
हां, पर ... *क्या तुम और भी जानना चाहोगे या तुम इतने से ही खुश हो -उनकी आँखों में शरारत झलक रही थी|*
*नहीं! रुकिए मत! मैं सब कुछ जानना चाहता हूं|*
*वे मेरी परेशानी में प्रसन्नता महसूस कर रहे थे और मेरी व्यग्रता उन्हें एक संतोष सा प्रदान कर रही थी|*
शेष अगले भाग में.....
आपका अपना गुरुभाई -
إرسال تعليق