17 अक्टूबर



17 अक्टूबर

ऑनलाइन सत्संग का दिव्य प्रकाश अपनी ज्ञान गंगा में सभी को मन हृदय  तन से प्रकाशित कर रहा है, जो कि पाटेश्वर धाम के संत बालयोगेश्वर श्री राम बालक दास जी द्वारा उनके ऑनलाइन सत्संग ग्रुप सीता रसोई संचालन ग्रुप में प्रतिदिन प्रातः 10:00 से 11:00 बजे और दोपहर 1:00 से 2:00 किया जाता है सभी भक्तगण अपने विभिन्न जिज्ञासाओं को गुरुदेव के समक्ष रखकर उनका समाधान प्राप्त करते हैं

      आज की सत्संग परिचर्चा में रिचा बहन घोठिया ने जिज्ञासा रखी की  हमारे इस तन को तो मां ने जन्म दिया है परंतु अमर आत्मा को किसने जन्म दिया है,  दिव्य प्रश्नों पर बाबा जी ने प्रकाश डालते हुए कहा कि, जिस मा ने हमें शरीर रूप में जन्म दिया वह परमात्मा से भी अधिक पूज्य है, तो सोचिए जो अजर अमर आत्मा है उसे जिस माँ ने जन्म दिया होगा उनका कितना अधिक महत्व होगा वह कितनी महान होंगी, आत्मा को जन्म प्रकृति माता और पुरुष परमात्मा ने दिया है गोस्वामी तुलसीदास जी ने इन प्रकृति माता को पांच तत्व में वर्णन किया है, धरती माता जो हमारा धारण करती है, आकाश तत्व जो हमें विभिन्न ऋतुओ  में भी समायोजित रखता है अपने आंचल में सुरक्षित रखता है, जल रूपी तत्व जो हमें शीतलता तो प्रदान करता ही है और हमारे जीवन का प्रमुख तत्व है, अग्नि जो सूर्य के ताप से लेकर हमारे भोजन तक में उपयुक्त होता है, प्राण दायीं वायु, जो हमारे अंग प्रत्यंग में समाहित होकर बहती है इस प्रकार यह पांच तत्व मिलकर प्रकृति मां का निर्माण करते हैं और इन्हीं प्रकृति अर्थात् परमात्मा ने हमें जन्म दिया है, वही आत्मा का निर्माण करते हैं, आप अपने अंशी जिनके हम अंश हैं उनको चाहे किसी भी रुप में पूजें

 चाहे दुर्गा मां के रूप में 

 श्री कृष्ण राम किसी रूप में हो वहीं आपके मूल जन्मदाता है

            सुंदरलाल जी ने जिज्ञासा रखिए की मां कितने प्रकार की होती है मां के रूपों को वर्णित करते हुए बाबाजी ने बताया कि मां के पांच रूप होते हैं प्रथम हमें धारण करने वाली धरती माता द्वितीय हमारी मातृभूमि अर्थात भारत माता जिसे हम सभी भेदभाव जाति पाति को भूलकर माँ कह के पुकारते हैं तीसरी होती है जो हमें जन्म देती है जो ईश्वर से भी अधिक पूज्य है चौथी होती हमारी गौ माता जो हमें जन्म भर दूध प्रदान करती है पांचवी है प्रकृति माता जिसके हर क्षण हर कण हमारे अंदर समाया हुआ है

          सत्संग की सुंदर बेला को आगे बढ़ाते हुए  श्रीमती मनीषा जी ने प्रश्न किया कि माताजी को लाल वस्त्र लाल पुष्प लाल रंग ही  बहुत अधिक पसंद है ऐसा क्यों, मां की मन  भावों को प्रकट करते हैं बाबा जी ने बताया कि लाल चुनरिया नारी के तीनों ही रूप को सवारती है  इसीलिए मैया को लाल रंग बहुत अधिक पसंद है लाल रंग सौभाग्य का शक्ति का प्रेम का और प्रकाश का प्रतीक होता है और भगवती माता शक्ति दायिनी,  सौभाग्य दायिनी प्रकाश दायिनी है मां के हर तेज में लाल रंग संपूर्ण होता है इसीलिए मां को लाल रंग बहुत अधिक प्रिय है

           संतोष श्रीवास ने संतवाणी "ईश्वर के घर दूर है..... के भावों को स्पष्ट करने की विनती बाबाजी से की, संतवाणी को स्पष्ट करते हुए बाबाजी ने बताया कि खजूर का पेड़ कितना लंबा होता है यदि हम उस पर मीठा रस प्राप्त करने चढ़ भी जाते हैं तो उस पर चढ़ने के पश्चात गिरने का भी भय उतना ही अधिक होता है और जिस स्थिति में हम उस पर चढ़ते हैं यदि गिर गए तो दोबारा चढने लायक नहीं बचते, उसी प्रकार भगवत प्राप्ति और भक्ति मार्ग भी बहुत अधिक कठिन है इसीलिए इसकी प्राप्ति  सावधानी बरतते हुए करनी होती हैँ, इसके लिए हमें सद्गुरु की कृपा सत्संग की कृपा और संतों की कृपा का पात्र होना आवश्यक होता है, परंतु गिरने के डर से हम अपने लक्ष्य की प्राप्ति ना करें ऐसा संभव नहीं है इसीलिए आप अपने तन मन से समर्पित होकर सद्गुरु की कृपा से अपने लक्ष्य की प्राप्ति करें

 इस प्रकार आज का सत्संग पूर्ण हुआ

 जय गौ माता जय गोपाल जय सियाराम

1 Comments

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