🙏जय सदगुरुदेव🦚
तंत्र पर मूर्खतापूर्ण उठने वाले बचकाने सवालों के जवाब।
(1) बोर्डर पर तांत्रिको को खड़ा करके चाईना पाकिस्तान से लड़ा जाये ? भूत प्रेतों की फौज खड़ी की जाये ? आतंकवादी पर मारण प्रयोग किया जाए तो?
ठीक है , लाखों सिद्ध तांत्रिको को जमा करो । उन्हें बोर्डर पर खड़ा करो सभी तंत्र सामग्री के साथ। सामने की दुश्मन सेना या आतंकी संगठन में जितने भी व्यक्ति है उन सभी की फोटो, नाम, उनके शरीर पर पहना कोई कपड़ा, बाल, पैर की धूल ले आओ क्योंकि तंत्र प्रयोग में इन सभी चीज़ो की जरूरत पड़ेगी। कुछ प्रयोग में अभिमंत्रित वस्तु खिलानी पड़ती है वो तुम जा कर खिला देना। कुछ में बकरे या मुर्गे की बलि लगती है तो लाखों बकरे मुर्गे भी बोर्डर पर मुहैया करवा दो। अगर भूत प्रेतों की फौज खड़ी करनी है तो लाखों भूत प्रेत खोज खोज कर उन्हें वश में करो। कुछ किस्सों में सैनिकों की आत्मा आज भी बोर्डर पर है और उनके होने के सैंकड़ों प्रमाण है।
जो मूर्ख शारीरिक लड़ाई और तांत्रिक लड़ाई का फर्क नहीं समज पाते वह ऐसी बचकानी बातें ही करेंगे।
(2) तंत्र प्रयोग करना पाप है । इसका दुरूपयोग होगा। तुम जो प्रयोग बता रहे हो उससे तुम्हें भुगतना होगा। तंत्र समाज के लिए खतरा है।
क्यों भाई? समाज में इतने बलात्कारी, हत्यारे, अपराधी, भ्रष्टाचारी, अत्याचारी, देशद्रोही भरे पड़े हैं उनके सामने जा कर क्यों नहीं बोलते? तुम्हें पता है कि हर कर्म का हिसाब होता है तो खुद 100% दूध के धुले बन गये?
क्या परमाणु हथियार असलो से खतरा नहीं? उनका दुरूपयोग नहीं होगा? उसका विरोध कर दिया दोगलो?सत्ता और पावर का दुरूपयोग रोक लिया जो बेबस पर अत्याचार और अन्याय करते हैं?
(3) तंत्र के इस प्रयोग में पहली कोशिश में एक झटके में सफलता नहीं मिलेगी।
दुनिया का कोई भी ऐसा काम बता दो जिसमें एक झटके में सफलता मिल जाए। तैरना , गाड़ी चलाना, हवाई जहाज उड़ाना आदि में महीनों या सालों लग जाते हैं। तंत्र में फिर भी कुछ दिनों सिद्धि मिल जाती है । सिद्ध प्रयोगों करने में थोड़ी सी कोशिश में सफलता मिल जाती है। सब कुछ भावना, एकाग्रता और इच्छाशक्ति के उपर है। जिसे पका पकाया और चबाया हुआ तैयार माल डायरेक्ट निगलना है उसे तो जिवन में सफलता मिल ही नहीं सकती।
(4) भूत प्रेतों से खेती बाडी और मेहनत का काम करवाया जाये। चोरी करवायी जाये।
फिर वही मूर्खों वाली बात। जिस कार्य में शारीरिक या मशीनी श्रम चाहिए उसे सूक्ष्म जगत की शक्तियों से करवाना है।
खुद कुछ कर्म करना नही। इश्वर ने जो शरीर दिया है उसे नष्ट क्यों नहीं कर लेते? खुद ही भूत प्रेत बन जाओ या अपना ही शरीर उन्हें दे दो। फिर जीवन यापन के लिए कर्म करने की कोई जरूर नहीं पड़गी।
तंत्र का जहाँ इस्तेमाल हो सकता है वो वहीं होगा। कुछ मूर्ख अगर कहे कि सड़क पर हेलिकोप्टर क्यों नहीं चलता और हवा में मोटरसाइकिल क्यों नहीं उड़ सकती तो वो जान लें कि हमें काम लेना है तो हमें तंत्र के नियमानुसार प्रयोग करने होंगे। तंत्र प्रयोग कोई हमारे बनाये गये नियमों से नहीं चलेंगे।कुछ लोग अपनी कमजोरी में तंत्र में असफल होने के बाद कई बहाने करेंगे वो अपनी खुद की कमजोरी नही देखेंगे अन्य किसी भी कार्य काम हो सभी मे समय मेहनत लगती है आशा है आपको यह लेख पसन्द आये तो शेयर करे अचार्यसिरपुर जय गंधेश्वर महाकाल।
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