23 September
संतों का उद्गम ही, धरती का कल्याण करने हेतु, मनुष्य का कल्याण करने हेतु, मानव धर्म का कल्याण करने हेतु, संपूर्ण विश्व का संपूर्ण ब्रह्मांड का कल्याण करने हेतु होता है, उनके सत्य वचन ही इस कल्याण में अपनी प्रमुख भूमिका निभाते हैं, जिनका मनुष्य जीवन पर प्रभाव उनके द्वारा किए जाने वाले सत्संग के द्वारा होता है, अतः संतो के द्वारा समय-समय पर सत्संग का आयोजन भी किया जाता है, ताकि वे भगवान के द्वारा दिए गए निर्देशों को अपने मन क्रम वचन वाणी से पूर्ण कर सके, परंतु कोरोना काल चलते हुए लॉक डाउन की परिस्थितियों में यह स्थिति अभी निर्मित नहीं हो पा रही है, विश्व कल्याण की भावना लिए संत राम बालक दास जी द्वारा अपनी ऑनलाइन ग्रुपों में प्रतिदिन अद्भुत सत्संग का आयोजन किया जाता है, वे यूट्यूब पर प्रतिदिन बाबा जी की पाती के द्वारा अद्भुत विषयों को भी प्रस्तुत कर रहे हैं, पुरुषोत्तम मास में पूरे एक माह उत्तम कथा का आयोजन उनके सानिध्य में कीया जा रहा है जोकि यूट्यूब चैनल
Rambalakdas
पर 2:00 से 5:00 बजे तक प्रसारित किया जाता है, आप भी इसमें जुड़कर इस अद्भुत बेला का एक अभिन्न अंग बन सकते हैं, प्रतिदिन की भांति आज भी सीता रसोई संचालन ग्रुप में प्रातः 10:00 से 11:00 और दोपहर 1:00 से 2:00 बजे ऑनलाइन सत्संग का दिव्य आयोजन पाटेश्वर धाम के संत श्री राम बालक दास जी द्वारा आयोजित किया गया जिसमें भक्तों ने अपनी जिज्ञासाओं को उनके भक्तिमय ज्ञान के द्वारा तृप्त किया
आज के सत्संग में जिज्ञासा रखते हुए सुदर्शन नेताम जी ने मन चित्त वृत्ति बुद्धि आत्मा के विषय को स्पष्ट करने की विनती बाबा जी से किया
बाबा जी ने इस विषय को स्पष्ट करते हुए बताया कि आप इसे एक प्रसंग द्वारा समझ सकते हैं एक समय भगवान श्री राम अपने भाई लक्ष्मण जी के साथ जनकपुर जो अभी उनका ससुराल नहीं हुआ था जिसका परिदृश्य और प्राकृतिक
सौंदर्यअद्वितीय है अपने मित्रों और अपने भाई के साथ भ्रमण हेतु निकले श्री राम जी की अद्भुत छवि उनके गज चाल को देखकर पुरी जनकपुरी रुक सी गई थी तब जिस जिस पथ पर श्री राम जी जनकपुरी में बिहार कीये वहां पर सखिया जो मुख से सुमुखी थी अर्थात जिनके मुख से सदैव सत्य, निर्मल वाणी, आनंदमय वचन, कल्याणकारी वचन व सदा सुखदायक वचन ही निकलते हैं ऐसी सखियां वे अपनी सुमन रूपी मन जो की निश्चल हैं, पूर्ण रूप से पवित्र है, निष्कपट है सुमन रूप में श्री राम जी को अर्पित किए जिनके मन के भाव बाल सुलभ निर्मल है वे बुद्धि से सद्बुद्धि है जिनकी आत्मा पुण्यात्मा है ऐसी ही सखियों को भगवान श्री राम जी ने दर्शन दिए अतः आप भी अपने को सुमुखी बनाएं बुद्धि को सद्बुद्धि चित को सदचित्त और ह्रदय को सुमन बनाकर मनुष्य बने, फिर नर से नारायण और नारी से नारायणी हो मन को बाल मन की तरह पवित्र करें तभी आपको भगवान स्वरूप के दर्शन हो सकते हैं
गोरेलाल सिन्हा जी पेंड्री ने रामचरितमानस की चौपाइयां " बोले लखन मधुर सुनहु मम || के भाव को स्पष्ट करने की विनती बाबाजी से की, अयोध्या कांड के इस प्रसंग को स्पष्ट करते हुए बाबा जी ने बताया कि राम जी लक्ष्मण जी व माता भगवती सीता वन गमन की ओर निकल चुके हैं, तब भगवान लक्ष्मण जब केवट निषाद जी से मिलते हैं तो भगवती माता सीता जो कि जनकपुर की राजकुमारी है सुकुमारी है और दशरथ जी की पुत्रवधू है भगवान श्रीराम जी की पत्नी है भगवान श्री राम जो स्वयं ईश्वर रूप है जो माताओं की पलकों पर निवास करते हैं ऐसे प्रभु श्री राम और भगवती माता आज धरती पर लेटे हुए हैं, विधाता ने कैसा विधान बनाया ऐसे राम जी एवं भगवती सीता को कैसे दिन देखने पड़ रहे हैं
उस समय वैराग्य मूर्ति लक्ष्मण जी ने केवट जी को अपनी स्वयं के दुर्भाग्य से अवगत कराया
कि यह हमारा ही दुर्भाग्य है हमारे कर्मों का फल है जो हमें भगवान को इस स्थिति में देखना पड़ा है अतः जिस प्रकार के कर्म आप करेंगे वैसा ही फल पाएंगे आम का फल लगाएंगे तो आम पाएंगे अच्छे कर्म करेंगे तो फल भी अच्छा ही प्राप्त होगा यहां स्वयं के ही कर्म है जो प्रभु को कष्टों में आपको देखना पड़ा है ना कि प्रभु के यह कर्म है
एक माह तक चलने वाले पुरुषोत्तम मास की कथा में आज श्री पुर्णेन्दु तिवारी जी ने रामकथा के सुंदर व्याख्या को प्रस्तुत किया जिसमें भारद्वाज आश्रम एवं सती
चरित्र का बखान किया गया ऑनलाइन यूट्यूब चैनल एवं फेसबुक पेज के माध्यम से आज भी पूरे भारतवर्ष से भक्तों के शुभकामनाएं श्री राम बालक दास जी को प्राप्त हुई
इस प्रकार आज का आनंदमय सत्संग रहा
जय गौ माता जय गोपाल जय सियाराम
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